दृष्टि एवं ध्येय

श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की दृष्टि एवं ध्येय
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दृष्टि

आधुनिक संदर्भ में समस्याओं की सार्थकता को स्थापित करने हेतु शास्त्रों के निर्वचन एवं शास्त्रीय परंपरा को संरक्षित रखना।

ध्येय

  1. अत्यधिक विशिष्ट शाखाओं पर विशेष ध्यान देते हुए पारम्परिक संस्कृत विद्या में शिक्षा प्रदान करना।
  2. संस्कृत शिक्षा एवं भारतीय ज्ञान प्रणाली में उच्च स्तरीय अनुसंधान को बढ़ावा देना।
  3. शास्त्रीय संस्कृत और संस्कृत में समकालीन साहित्य का अध्ययन करना।
  4. अनुसंधान के माध्यम से संस्कृत विरासत के ज्ञान को सुवर्द्धित करना।
  5. पारम्परिक और समसामयिक दृष्टिकोण के विशेष संदर्भ में शास्त्रों की निर्वचन करना।
  6. संस्कृत के सहायक घटकों अर्थात ज्योतिष और वास्तु शास्त्र में उच्च अध्ययन हेतु अवसर प्रदान करना।
  7. पांडुलिपियों के आलोचनात्मक विश्लेषण एवं विमर्श हेतु संरक्षित रखना।
  8. स्कूली शिक्षा के लिए सक्षम संस्कृत शिक्षक तैयार करना।
  9. शिक्षाशास्त्र के लिए शिक्षक प्रशिक्षकों को तैयार करना।
  10. अपना एक विशेष स्वरूप बनाने हेतु संस्कृत शिक्षा एवं विभिन्न विषयों में उत्कृष्टता प्राप्त करना।