साहित्य विभाग


प्रो. कल्पना जैन
प्रो. कल्पना जैन
विभागाध्यक्ष

स्थापना वर्ष -1962

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‘प×चमी साहित्यविद्या’- आचार्य राजश्ेाखर की उक्ति के अनुसार वेद आदि चार विद्याओं के अतिरिक्त प×चमी-विद्या के रूप में साहित्य का अनिवार्य स्थान माना गया है। वर्तमान युग में भी यह उक्ति चरितार्थ है, क्योंकि निखिल विश्व साहित्य और साहित्यशास्त्र, सौन्दर्यशास्त्र, कला और कलाशास्त्र, संगीत और संगीतशास्त्र, नाट्य और नाट्यशास्त्र आदि इसके अन्तर्गत होने के कारण लोकजीवन में यह साहित्य प्रतिपद अनुभूत होता है। विश्व वाघ्मय में ‘संस्कृत’ शब्द के उच्चारण-मात्र से सामाजिक सद्यः व्यास, वाल्मीकि, कालिदास आदि का तथा रामायण, महाभारत, अभिज्ञानशाकुन्तल, मेघदूत आदि का स्मरण करता है। इससे संस्कृत-साहित्य की महिमा और लोकप्रियता स्वतः स्पष्ट हो जाती है। तथापि संस्कृत-साहित्य की अगणित-विद्याओं में से वर्गीकृतरूप से काव्य-काव्यशास्त्र, अलंकार-अलंकारशास्त्र, नाट्य-नाट्यशास्त्र एवं पाश्चात्य-काव्यशास्त्र आदि भागों को विशेषरूप से साहित्य-विभाग के पाठ्यक्रम में रखा गया है। जैसे काव्यभाग में कालिदास, भवभूति, भारवि माघ, श्रीहर्ष, बाण आदि के क्रमशः मेघदूत, कुमारसम्भव आदि उत्तररामचरित, किरातार्जुनीय, शिशुपालवध, नैषधीयचरित, कादम्बरी आदि काव्य, काव्यशास्त्र में ‘षट्-प्रस्थान’ के अन्तर्गत प्रमुखरूप से भरतमुनि, अभिनवगुप्त, वामन, कुन्तक, आनदवर्धन, क्षेमेन्द्र एवं तत्तत् पक्ष-समर्थक मम्मट, भामह, विश्वनाथ आदि को रखा गया है। इन पारम्परिक काव्यशास्त्रें के साथ अध्येताओं की अलंकारशास्त्र के अन्तर्गत काव्यालघड्ढार, चित्रमीमांसा, अलकांरसर्वस्व आदि तथा नाट्य-नाट्यशास्त्र के अन्तर्गत भरतनाट्यशास्त्र, नाट्यदर्पण, अभिवनभारती, स्वप्नवासवदत्तम्, चारूदत्तम्, वेणीसंहार, अभिज्ञानशाकुन्तलम् आदि पाठ्यक्रम में निर्धारित हैं। आधुनिक संस्कृत साहित्य एवं साहित्यशास्त्र से छात्रें को परिचित कराने की दृष्टि से शास्त्री एव आचार्य के पाठ्यक्रम में प्रसिद्ध कृतियों के चयनित अंश रखे गए हैं। विकल्पाधारित-पाठ्यक्रम-व्यवस्था के अन्तर्गत आचार्य-स्तर पर भाषाविज्ञान एवं पाश्चात्यकाव्यशास्त्र का अध्यापन भी प्रारम्भ किया गया है। साथ ही अर्वाचीन संस्कृत-साहित्य से सम्बद्ध-पत्र भी प्रारम्भ किये गये हैं। साहित्य-विभाग का प्रयास है कि शास्त्री से आचार्य तक अध्ययन के उपरान्त छात्र एक पूर्ण-विकसित साहित्य-परम्परा से उद्बुद्ध हो। स्नातकोत्तर स्तर पर काव्यशास्त्र, नाट्यशास्त्र एवं अलंकारशास्त्र के रूप में संस्कृत-साहित्य एवं साहित्यशास्त्र के विशद अध्ययन एवं अध्यापन से इस विभाग का गौरव और अधिक वर्द्धित है। आगामी सत्र से साहित्य विभागान्तर्गत आचार्य स्तर पर नाट्यसाहित्य एवं नाट्यशास्त्र नामक अन्तः शास्त्रीय-विभाग स्थापित किया गया है।

वर्तमान-युग में शोध की दृष्टि से तथा जनसामान्य के लाभ के लिये महाकाव्यों की प्रासघिõकता के प्रचार-प्रसार एवं विशद अध्ययन की दृष्टि से विभाग में ‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग’ की विशेष आर्थिक अनुदान से ‘बृहत्त्रयी बृहत्कोशयोजना’ के रूप में एक विभागीय शोधयोजना-1 की समाप्ति के उपरान्त चल रही है।

विश्वविद्यालय अनुदान-आयोग के निर्देशानुसार साहित्य-विभागीय-पाठ्यक्रम का संशोधन एवं विस्तार विभागीय अध्ययनमण्डल के द्वारा किया गया, जिसमें भरत से लेकर आधुनिक कालपर्यन्त समस्त साहित्यशास्त्रीय-ग्रन्थों का समावेश किया गया है। विभाग के द्वारा समग्र विद्यापीठीय छात्रें के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अनुदान से पृथ्क त्मउमकपंस एवं छम्ज्धश्रत्थ् कोचिंग की व्यवस्था भी की जा रही है। इस निमित्त पृथक्-कक्षाओं का संचालन साहित्य-विभागाध्यक्ष के द्वारा किया जा रहा है। विद्वत्परिषद् के निर्णय के अनुपालन में सभी आधुनिक-विषयों के अध्ययन एवं अध्यापन की व्यवस्था इसी विभाग द्वारा की जाती है।

अध्ययन सामग्री / संदर्भ

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संकाय विवरण

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क्रमांक फ़ोटो नाम विभाग पद
1 सुखदेव भोई प्रो. सुखदेव भोई साहित्य विभाग प्रोफेसर
2 भागीरथि नंद प्रो. भागीरथि नंद साहित्य विभाग प्रोफेसर
3 धर्मानन्द राउत प्रो. धर्मानन्द राउत साहित्य विभाग प्रोफेसर
4 सुमन कुमार झा प्रो. सुमन कुमार झा साहित्य विभाग प्रोफेसर
5 अरविन्द कुमार डॉ अरविन्द कुमार साहित्य विभाग प्रोफेसर
6 बेजावाडा कामाक्षम्मा डॉ बेजावाडा कामाक्षम्मा साहित्य विभाग असिस्टेंट प्रोफेसर
7 सौरभ दुबे डॉ सौरभ दुबे साहित्य विभाग असिस्टेंट प्रोफेसर
8 अनमोल शर्मा डॉ अनमोल शर्मा साहित्य विभाग असिस्टेंट प्रोफेसर