श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के दर्शनशास्त्रपीठान्तर्गत “न्यायविभाग” द्वारा महेशचन्द्र विरचित “नव्यन्यायभाषाप्रदीप” नामक ग्रन्थ को अधिकृत कर १६-२५ फरवरी २०२३ तक दशदिवसीय राष्ट्रीय स्वाध्याय कार्यशाला एवं सङ्गोष्ठी आज विश्वविद्यालय के श्रद्धेय कुलपति प्रो.मुरलीमनोहर पाठक जी की अध्यक्षता में उद्घाटित हुई। उद्घाटन सत्र का शुभारम्भ वैदिक एवं पौराणिक मंगलाचरण तथा सत्र के अध्यक्ष एवं समागत अतिथियों के दीप-प्रज्ज्वलन द्वारा किया गया। उद्घाटन सत्र में मुख्यातिथि के रूप में समागत दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर एवं छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर के पूर्व कुलपति प्रो.अशोक कुमार जी का उद्बोधन हुआ। विशिष्टातिथि के रूप में समागत भारतीय दार्शनिक अनुसन्धान परिषद्, दिल्ली के सदस्य सचिव प्रो.सच्चिदानन्द मिश्र जी का व्याख्यान हुआ। इस सत्र में विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र पीठाध्यक्ष प्रो.केदार प्रसाद परोहा जी का सान्निध्य प्राप्त हुआ। न्याय विभाग के वरिष्ठाचार्य एवं उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार के पूर्व कुलपति प्रो.पीयूषकान्त दीक्षित जी ने अध्यक्ष, समागत अतिथि, आचार्यगण एवं सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का विषय प्रवर्तन न्याय विभाग के ही पूर्वाध्यक्ष प्रो. विष्णुपद महापात्र जी ने किया। कार्यक्रम के अन्त में न्याय विभाग के आचार्य डॉ. रामचन्द्र शर्मा जी ने सभी के लिए धन्यवाद ज्ञापन किया। अन्त में शान्ति मन्त्र के साथ सत्र का समापन किया गया। उद्घाटन सत्र का संचालन एवं सम्पूर्ण कार्यशाला का संयोजन न्याय विभाग के अध्यक्ष प्रो. महानन्द झा जी ने किया। इस प्रकार न्याय विभाग द्वारा आयोजित दशदिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन सत्र सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ।